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मकसद की भनक प्रतियोगिता के लिए 221 2122 221 2122 समझी कहाँ ही उसने मज़बूरियां हमारी। दिखतीं जिसे हमेशा नादानियाँ हमारी।। हम तो खड़े वहीं पर जिस मोड़ तुम गए थे। ...